Minggu, 28 Februari 2016

Vijaya Ekadashi Vrat katha Puja vidhi significance importance विजया एकादशी व्रत

Vijaya Ekadashi Vrat katha Puja vidhi significance importance विजया एकादशी व्रत

फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकाद्शी को विजया एकादशी के रूप में मनाया जाता है. यह एकादशी विजय की प्राप्ति को सशक्त करने में सहायक बनती है। तभी तो प्रभु राम जी ने भी इस व्रत को धारण करके अपने विजय को पूर्ण रूप से प्राप्त किया था. एकादशी व्रत करने से व्यक्ति के शुभ फलों में वृद्धि होती है तथा अशुभता का नाश होता है. विजया एकादशी व्रत 5 मार्च 2016 को किया जाएगा. विजया एकादशी व्रत करने से साधक को व्रत से संबन्धित मनोवांछित फल की प्राप्ति करता है. सभी एकादशी अपने नाम के अनुरुप फल देती है.

विजया एकादशी पौराणिक महत्व | Historical Significance of Vijaya Ekadashi

विजया एकादशी क अपौराणिक महत्व श्री राम जी से जुडा़ हुआ है जिसके अनुसार विजया एकादशी के दिन भगवान श्री राम लंका पर चढाई करने के लिये समुद्र तट पर पहुंचे. समुद्र तट पर पहुंच कर भगवान श्री राम ने देखा की सामने विशाल समुद्र है और उनकी पत्नी देवी सीता रावण कैद में है. इस पर भगवान श्री राम ने समुद्र देवता से मार्ग देने की प्रार्थना की. परन्तु समुद्र ने जब श्री राम को लंका जाने का मार्ग नहीं दिया तो भगवान श्री राम ने ऋषि गणों से इसका उपाय पूछा.
ऋषियों में भगवान राम को बताया की प्रत्येक शुभ कार्य को शुरु करने से पहले व्रत और अनुष्ठान कार्य किये जाते है. व्रत और अनुष्ठान कार्य करने से कार्यसिद्धि की प्राप्ति होती है. और सभी कार्य सफल होते है. हे भगवान आप भी फाल्गुण मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत विधिपूर्वक किजिए. भगवान श्री राम ने ऋषियों के कहे अनुसार व्रत किया, व्रत के प्रभाव से समुद्र ने प्रभु राम को मार्ग प्रदान किया और यह व्रत रावण पर विजय प्रदान कराने में मददगार बना. तभी से इस व्रत की महिमा का गुणगान आज भी सर्वमान्य रहा है और विजय प्राप्ति के लिये जन साधारण द्वारा किया जाता है.


व्रत कथा

अर्जुन भगवान श्री कृष्ण से एकादशी का महात्मय सुन कर आनन्द विभोर हो रहे हैं। जया एकादशी के महात्मय को जानने के बाद अर्जुन कहते हैं माधव फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी का क्या महात्मय है आपसे मैं जानना चाहता हूं अत: कृपा करके इसके विषय में जो कथा है वह सुनाएं।
अर्जुन द्वारा अनुनय पूर्वक प्रश्न किये जाने पर श्री कृष्णचंद जी कहते हैं प्रिय अर्जुन फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी विजया एकादशी के नाम से जानी जाती है। इस एकादशी का व्रत करने वाला सदा विजयी रहता है। हे अर्जुन तुम मेरे प्रिय सखा हो अत: मैं इस व्रत की कथा तुमसे कह रहा हूं, आज तक इस व्रत की कथा मैंने किसी को नहीं सुनाई। तुमसे पूर्व केवल देवर्षि नारद ही इस कथा को ब्रह्मा जी से सुन पाए हैं। तुम मेरे प्रिय हो इसलिए तुम मुझसे यह कथा सुनो।
त्रेतायुग की बात है श्री रामचन्द्र जी जो विष्णु के अंशावतार थे अपनी पत्नी सीता को ढूंढते हुए सागर तट पर पहुंचे। सागर तट पर भगवान का परम भक्त जटायु नामक पक्षी रहता था। उस पक्षी ने बताया कि सीता माता को सागर पार लंका नगरी का राजा रावण ले गया है और माता इस समय आशोक वाटिका में हैं। जटायु द्वारा सीता का पता जानकर श्रीराम चन्द्र जी अपनी वानर सेना के साथ लंका पर आक्रमण की तैयारी करने लगे परंतु सागर के जल जीवों से भरे दुर्गम मार्ग से होकर लंका पहुंचना प्रश्न बनकर खड़ा था।
भगवान श्री राम इस अवतार में मर्यादा पुरूषोत्तम के रूप में दुनियां के समझ उदाहरण प्रस्तुत करना चाहते थे अत: आम मानव की भांति चिंतित हो गये। जब उन्हें सागर पार जाने का कोई मार्ग नहीं मिल रहा था तब उन्होंने लक्ष्मण से पूछा कि हे लक्ष्मण इस सागर को पार करने का कोई उपाय मुझे सूझ नहीं रहा अगर तुम्हारे पास कोई उपाय है तो बताओ। श्री रामचन्द्र जी की बात सुनकर लक्ष्मण बोले प्रभु आपसे तो कोई भी बात छिपी नहीं है आप स्वयं सर्वसामर्थवान है फिर भी मैं कहूंगा कि यहां से आधा योजन दूर परम ज्ञानी वकदाल्भ्य मुनि का निवास हैं हमें उनसे ही इसका हल पूछना चाहिए।
भगवान श्रीराम लक्ष्मण समेत वकदाल्भ्य मुनि के आश्रम में पहुंचे और उन्हें प्रणाम करके अपना प्रश्न उनके सामने रख दिया। मुनिवर ने कहा हे राम आप अपनी सेना समेत फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत रखें, इस एकादशी के व्रत से आप निश्चित ही समुद्र को पार कर रावण को पराजित कर देंगे। श्री रामचन्द्र जी ने तब उक्त तिथि के आने पर अपनी सेना समेत मुनिवर के बताये विधान के अनुसार एकादशी का व्रत रखा और सागर पर पुल का निर्माण कर लंका पर चढ़ाई की। राम और रावण का युद्ध हुआ जिसमें रावण मारा गया।

एकादशी पूजा विधि | Rituals to Perform Vijaya Ekadashi Puja

विजया एकादशी व्रत के विषय में यह मान्यता है, कि एकादशी व्रत करने से स्वर्ण दान, भूमि दान, अन्नदान और गौदान से अधिक पुण्य फलों की प्राप्ति होती है. एकादशी व्रत के दिन भगवान नारायण की पूजा की जाती है. व्रत पूजन में धूप, दीप, नैवेध, नारियल का प्रयोग किया जाता है. विजया एकादशी व्रत में सात धान्य घट स्थापना की जाती है. सात धान्यों में गेंहूं, उड्द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर है. इसके ऊपर श्री विष्णु जी की मूर्ति रखी जाती है. इस व्रत को करने वाले व्यक्ति को पूरे दिन व्रत करने के बाद रात्रि में विष्णु पाठ करते हुए जागरण करना चाहिए.
व्रत से पहले की रात्रि में सात्विक भोजन करना चाहिए और रात्रि भोजन के बाद कुछ नहीं लेना चाहिए. एकादशी व्रत 24 घंटों के लिये किया जाता है. व्रत का समापन द्वादशी तिथि के प्रात:काल में अन्न से भरा घडा ब्राह्माण को दिया जाता है. यह व्रत करने से दु:ख दूरे होते है. और अपने नाम के अनुसार विजया एकादशी व्यक्ति को जीवन के कठिन परिस्थितियों में विजय दिलाती है. समग्र कार्यो में विजय दिलाने वाली विजया एकादशी की कथा इस प्रकार है.


Legend Of Vijaya Ekadashi

The legend of Vijaya Ekadashi is related to Lord Rama. It is said that Lord Rama observed the fast of Vijaya Ekadashi, when he was heading toward Lanka with his entire army to rescue his wife, Sita.
As per the legend of Vijaya Ekadasi, when Lord Ram reached to Samudra (sea), he was unaware of the route ahead. Hence, Lord Rama requested the lord of sea to show the correct path to Lanka, but the Sea Lord didn't reply.
Then, both, Lord Rama and Laxmana, (Lord Rama's younger brother) visited a saint, Balada Bhaya. Saint Balada Bhaya advised Lord Rama to observe the fast of Vijaya Ekadashi. He told them that the fast of Vijaya Ekadashi will help them in succeeding any obstacle, throughout their way. The saint also mentioned that the Vijaya Ekadashi fast will also help them in winning over the evil powers of Ravana.
Lord Rama observed the fast of Vijaya Ekadashi and successfully rescued his wife Sita, from the clutches of Ravana.

Vijaya Ekadashi 2016: Observance Of The Fast

Here are some points that one should keep in mind while observing the Vijaya Ekadashi 2016 Vrat:
  1. Meal should be taken once in a day and that too purely Satvik Bhojan (food for fast).
  2. The meal should include fruits, dry fruits, milk, and other milk products.
  3. Intake of cereals and grains is strictly prohibited.
  4. Perform the Puja rituals dedicated to Lord Krishna, twice a day i.e. in the morning and in the evening.
Remember these points in mind and perform the Puja of Vijaya Ekadashi with dedication and devotion. Lord Vishnu will provide you with the power to observe the fast of Vijaya Ekadashi in 2016, successfully. Hopefully, this information will help you gaining all that you wish on this Vijaya Ekadashi in 2016.

Tanaji Malsure Balidan Din Battle of snhgad Information History Katha story in Hindi

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 तानाजी मालसुरे बलिदान दिन
जब शिवाजी महाराजसे रायगढपर मिलनेका संदेश प्राप्त हुआ तब तानाजी मालुसरे उंब्रत गांवमें अपने बेटेके विवाहकी योजनाओंमें व्यस्त थे । वे शीघ्र ही अपने भाई सूर्याजी तथा मामा शेलारमामाके साथ महाराजसे मिलने निकल गए । अपने परममित्र तानाजीको कौनसी मुहीम हेतु चुना है यह बतानेका साहस महाराजके पास नहीं था, अत: उन्होंने तानाजीको मुहीमके विषयमें जानने हेतु जिजाबाईके पास भेजा ।
मुहीमकी भयावहताकी परवाह न करते हुए शेरदिल तानाजीने मरने अथवा मारनेकी प्रतिज्ञा की । तानाजीने रातको मुहीमका आरंभ किया तथा कोकणकी ओरसे छुपकर वर्ष १६७० में फरवरीकी ठंडी, अंधेरी रातमें अपने साथियोंको लेकर किलेकी ओर प्रस्थान किया । वह अपने साथ शिवाजी महाराजकी प्रिय गोह ले गए थे, जिससे किलेपर चढनेमें आसानी हो । इस प्राणीकी कमरमें रस्सी बांधकर उसके सहारे किलेपर पहुंचनेका प्रयास किया, किंतु गोह ऊपर चढना नहीं चाहती थी, जैसे वह आगे आनेवाले संकटके विषयमें तानाजीको आगाह कराना चाहती थी । तानाजी बडे क्रोधित हुए गोह उनका संकेत समझ गई, तथा तटबंदीसे चिपक गई, जिससे मराठा सैनिकोंको किलेपर चढनेमें मदद मिली ।


लगभग ३०० लोग ही अबतक ऊपरतक चढ पाए थे, कि पहरेदारोंको उनके आनेकी भनक हो गई । मराठा सैनिकोंने पहरेदारोंको तुरंत काट डाला, किंतु शस्त्रोंकी खनखनाहटसे गढकी रक्षा करनेवाली सेना जाग गई । तानाजीके सामने बडी गंभीर समस्या खडी हुई । उनके ७०० सैनिक अभी नीचे ही खडे थे तथा उन्हें अपनेसे कहीं अधिक संख्यामें सामने खडे शत्रुसे दो-दो हाथ करने पडे । उन्होंने मन-ही-मन निश्चय किया तथा अपने सैनिकोंको चढाई करनेकी आज्ञा की । लडाई आरंभ हो गई । तानाजीके कई लोग मारे गए, किंतु उन्होंने भी मुगलोंके बहुत सैनिकोंको मार गिराया । अपने सैनिकोंकी हिम्मत बढाने हेतु तानाजी जोर-जोरसे गा रहे थे । थोडे समयके पश्चात मुगलोंका सरदार उदय भान तानाजीसे लडने लगा । मराठोंको अनेक अडचनें आ रही थीं । रातकी लंबी दौड, मुहीमकी चिंता, किलेकी दुर्ग चढकर आना, तथा घमासान युद्ध करना; इन सारी बातोंपर तानाजी पूर्वमें ही कडा परिश्रम कर चुके थे, इसपर उदय भानने युद्ध कर उन्हें पूरा ही थका दिया; परिणामस्वरूप लंबी लडाईके पश्चात तानाजी गिर गए ।
अपने नेताकी मृत्युसे मराठोंके पांवतलेसे भूमि खिसक गई । तानाजीने जितना हो सका, उतने समय युद्ध जारी रखा , जिससे नीचे खडे ७०० सैनिक पहरा तोडकर अंदर घुसनेमें सफल हों । वे तानाजीके बंधु सूर्याजीके नेतृत्वमें लड रहे थे । सूर्याजी बिलकुल समयपर पहुंच गए तथा उनकी प्रेरणासे मराठोंको अंततक लडनेकी हिम्मत प्राप्त हुई । मुगल सरदारकी हत्या हुई तथा पूरे किलेकी सुरक्षा तहस नहस हो गई । सैकडों मुगल सिपाही स्वयंको बचानेके प्रयासमें किलेसे कूद पडे तथा उसमें मारे गए ।
मराठोंको बडी विजय प्राप्त हुई थी किंतु उनकी छावनीमें खुशी नहीं थी । जीतका समाचार शिवाजी महाराजको भेजा गया था, जो तानाजीका अभिनंदन करने तुरंत गढकी ओर निकल पडे, किंतु बडे दुखके साथ उन्हें उस शूर वीरकी मृत देह देखनी पडी । सिंहगढका कथागीत इस दुखका वर्णन कुछ इस प्रकार करता है :
तानाजीके प्रति महाराजके मनमें जो प्रेम था, उस कारण वे १२ दिनोंतक रोते रहे । जिजाबाईको हुए दुखका भी वर्णन किया है : चेहरेसे कपडा हटाकर उन्होंने तानाजीका चेहरा देखा । विलाप करते हुए उन्होंने समशेर निकाली और कहा, `शिवाजी महाराज, जो एक राजा तथा बेटा भी है, आज उसकी देहसे एक महत्वपूर्ण हिस्सा कट चुका है ।’ शिवाजी महाराजको अपने मित्रकी मृत्युकी सूचना प्राप्त होते ही उन्होंने कहा, `हमने गढ जीत लिया है, किंतु एक सिंहको खो दिया है’ ।
तानाजी मालुसरे का महापराक्रम तथा स्वराज्य अर्थात् धर्मके प्रति उनकी निष्ठा को हम अभिवादन करतें हैं । आज प्रत्येक हिंदूने इनसे प्रेरणा लेकर धर्म तथा राष्ट्ररक्षण के लिए सिद्ध होना यहीं कालकी अत्यावश्यकता है !

Sabtu, 27 Februari 2016

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स्वामी कृष्ण सरस्वती दत्त महाराजांचा जन्म  कोल्हापूर येथील नांदणी ग्रामी झाला. अप्पा भटजी अन अन्नपूर्णा जोशी यांना गाणगापूरचे स्वामी नृसिंह सरस्वती यांच्या कृपेने झालेले हे अपत्य. लहान कृष्णा मौजीबंधन होईस्तोवर बोलला नाही. बालवयातच कुलदेव खंडोबाच्या आज्ञेने कृष्णा अक्कलकोटच्या स्वामी समर्थांकडे गेला. 'माझा कृष्णा येणार' म्हणून स्वामी समर्थ सकाळपासून कृष्णाची वाटच पहात होते. कृष्णा आल्यावर ते त्याला घेऊन रानात एकांतात गेले व तेथे ते तीन दिवस राहिले. स्वामी समर्थांनी कृष्णाला सांगितले की मी व तू एकच आहोत. त्याचे नाव श्रीगुरुकृष्ण ठेवले. रानातून परत आल्यावर स्वामींनी सेवकांना आज्ञा केली की 'चुरमा लड्डू खिलाव' व कृष्णाला ते भरवले. काही दिवस झाल्यावर स्वामींनी कृष्ण सरस्वतींना कोल्हापूरला जाण्याची आज्ञा केली.

कोल्हापूर येथील कुंभार आळीतील ताराबाई शिर्के ही दत्तभक्त महिला पूर्वाश्रमी व्यवसायाने गणिका असून तीव्र पोटशूळाने पीडित होती. दर पौर्णिमेस ती नरसोबाच्या वाडीस जाई व रात्रौ तेथे मुक्काम करून दुसरे दिनी कोल्हापूरला परत येई. अशी अनेक वर्षे सेवा केल्यावर एके रात्री वाडीस तिला दत्तगुरूंनी स्वप्नदृष्टांत देऊन सांगितले की मी तुझ्या भक्तीने प्रसन्न झालो असून लवकरच तुझ्या घरी राहावयास येईन. त्यानुसार स्वामी कृष्ण सरस्वती महाराजांनी आपले सर्व आयुष्य कोल्हापूर येथील कुंभार आळीत श्रीमती ताराबाई शिर्के यांच्या घरी व्यतीत केले. ही सर्व वेश्या आळी होती. 'काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर' या षडरिपूंपासून मानवास मुक्त करणे व त्याचे देवस्वरूप दाखविणे हेच संतांचे कार्य! तेच स्वामींनी केले. येथील सर्व वस्ती स्वामीजींच्या वास्तव्याने पुनीत झाली. या वाड्याला स्वामीजींनी वैराग्यमठी हे नाव दिले. स्वामीजी अखंड बालभावात रहात असत. त्यामुळे बरेच लोक त्यांना एका वेडा म्हणूनच समजत. स्वामीजींनी भक्तांसाठी अनेक चमत्कार केले, असे ग्रंथात सांगितले आहे. गाणगापूर व नरसोबाची वाडी येथे तप करणारया अनेक भक्तांना दत्तगुरूंनी स्वप्नदृष्टांत देउन 'करवीर येथे मी कुंभार स्वामी या नावानी अवतार घेतला असून तेथे जावे' असे सांगितले व स्वामींना भेटताच स्वामी त्यांना काही वाक्ये बोलून खूण पटवत असत. रात्री स्वामी शयनगृहात निजल्यावर बाहेर पडत नसत पण काही वेळा सकाळी त्यांचे पाय धुळीने भरलेले दिसत असत. सेवकांनी विचारता स्वामी सांगत की 'मी घरी गेलो होतो'. घर म्हणजे नरसोबाची वाडी. स्वामी कोल्हापूर सोडून कधीही बाहेर जात नसत पण कित्येक वेळा नरसोबाच्या वाडीस अनेक लोकांना स्वामींची भेट होत असे. तसेच अक्कलकोट स्वामींनी देह ठेवल्यावर त्यांच्या काही भक्तांना स्वामींनी 'मी कुंभार स्वामी या नावाने कोल्हापूर येथे आहे' असे दृष्टांत दिले व कृष्ण सरस्वती स्वामींनी त्यांना अक्कलकोट स्वामी स्वरूपात दर्शन दिल्याच्या घटना घडलेल्या आहेत.

स्वामींनी श्रावण वद्य दशमी दिनांक २० ऑगस्ट, इ.स. १९०० रोजी पहाटे देह विसर्जन केला. त्यांच्या पार्थिवाला वैराग्यमठीत समाधी देण्यात आली. नंतर शिष्यमंडळींनी भजनासाठी दुसरी मठी निर्माण केली. तिचे स्थान जवळच गंगावेस येथे असून ती निजबोधमठी म्हणून ओळखिली जाते. वैराग्यमठीपासून हे ठिकाण चालत १० मिनिटांच्या अंतरावर आहे. स्वामींचे शिष्य व्यास यांनी या मठीनिर्माणासाठी पुढाकार घेतला, या कारणाने तिला व्यासमठी असेही म्हणतात.

स्वामींचे संपूर्ण चरित्र, स्वामींचे कोल्हापुरातील शिष्य गणेश नारायण मुजुमदार यांनी लिहिले असून ते "श्रीकृष्ण विजय" या नावाने प्रसिद्ध झालेले आहे. हे चरित्र दोन भागात असून दुसरा भाग ३५ वर्षानंतर लिहिला गेला.

Jumat, 26 Februari 2016

Marathi Bhasha Din Diwas sms message whatsapp fb status wallpaper speech vishesh poem kavita msg best jagtik world day

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!! आज जागतिक मराठी भाषा दिन !!

लाभले आम्हास भाग्य बोलतो मराठी,
जाहलो खरेच धन्य ऐकतो मराठी.
धर्म, पंथ, जात, एक मानतो मराठी,
एवढ्या जगात माय मानतो मराठी.

बोलतो मराठी, ऐकतो, मराठी,
जाणतो मराठी, मानतो मराठी....

"जय भवानी, जय जिजाऊ, जय शिवराय, जय शंभूराय"
"जय महाराष्ट्र, जय गडकोट"

!! सन्मान मराठीचा, अभिमान महाराष्ट्राचा !!
"जागतिक मराठी भाषा" दिनाच्या सर्व मराठीप्रेमीना कोटी कोटी शुभेच्छा.....

Sabtu, 20 Februari 2016

Guru Ravidas Jayanti Sms message in hindi punjabi wallpaper whatsapp status pics quotes dohe bhajan

Guru Ji Main Teri Patang
Hawa Wich Udd Di Jawangi
Guru Ji Door Hattho Na Chhadi
Main Katti Jawaan Gi...!!!
Gur Ravidas Jayanti Di Lakh Lakh Wadhaiyaan...!!!
Happy Ravidass Jayanti...!!!
संत शिरोमणी रविदास महाराज  जयंती कि शुभकामनाये

Guru Ravidass Ji Jayanti Wallpaper Photo Card Wishes Image Picture Greetings

Aaj Ka Din Hai Khooshiyon Bhara
Aap Ko Poorey Pariwaar Sahit
Guru Ravidas Jayanti Ki
Bohat Bohat Shubhkamnain...!!!
Happy Guru Ravidas Jayanti...!!!
संत शिरोमणी रविदास महाराज  जयंती कि शुभकामनाये

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Agar Ek Arya Akela Hai Toh Usse Sawayam Adhyayan Karna Chahiey.
Agar Do Ho Toh Unhe Paraspar Prashnottar Karna Chahiye
Agar Ek Se Jyadaa Ho Toh Unhe Satsang Karna Chahiye
Aur Vedo Ke Adhyaya Padne Chahiye...!!!
Happy Guru Ravidas jayanti...!!!
संत शिरोमणी रविदास महाराज  जयंती कि शुभकामनाये

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Prabhu Je Tum Chandan Hum Pani
Tuhi Mohi Mohi Tuhi Anter Kaisa
Tujhaai Sujhantaa Kachho Nahi
Chal Man Harr Chatsal Parhaoon..!!!
Happy Guru Ravidas Ji Jayanti...!!!


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Bhala Kisi Ka Nahi Karr Saktey
To Buraa Kisi Ka Matt Karna
Phool Jo Nahi Bann Saktey Tum
Kantey Ban Karr Mat Rehnaa...!!!
Happy Guru Ravidas Jayanti...!!!
संत शिरोमणी रविदास महाराज  जयंती कि शुभकामनाये

Bhala Kisi Ka Nahi Kar Sakte Toh Bura Kisi Na Mat Karna Phool Jo Nahi Ban Sakte Tum Kaante Bankar Mat Rehna! Happy Guru Ravidas Jayanti!

Prabhu Ji Tum Chandan Hum Paani To hi Mohi Mohi Tohi Anter Kaisa Tujhaai Sujhantaa Kachhoo Nahei Chal Man Har Chatsal Parhaoon. !! Happy Guru Ravidass Ji Jayanti !!

Guru Ji Main Teri Patang Hawa Wich Udd Di Jawangi Guru Ji Dor Hattho Na Chhadi Main Katti Jawaan Gi Gur Ravidas Jayanti Di Lakh Lakh Wadhaiyaan!

Aaj Ka Din Hai Khushiyon Bhara Aap Ko Poore Parivaar Sahit Guru Ravidas Jayanti Ki Bohat Bohat Shubhkaamnaayein!

Femous Vachan Dohe of Sant Ravidas ji
* जाति-जाति में जाति हैं, जो केतन के पात।
रैदास मनुष ना जुड़ सके जब तक जाति न जात।।
संत शिरोमणी रविदास महाराज  जयंती कि शुभकामनाये

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* कृस्न, करीम, राम, हरि, राघव, जब लग एक न पेखा।
वेद कतेब कुरान, पुरानन, सहज एक नहिं देखा।।
संत शिरोमणी रविदास महाराज  जयंती कि शुभकामनाये


* कह रैदास तेरी भगति दूरि है, भाग बड़े सो पावै।
तजि अभिमान मेटि आपा पर, पिपिलक हवै चुनि खावै।
संत शिरोमणी रविदास महाराज  जयंती कि शुभकामनाये

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* रैदास कनक और कंगन माहि जिमि अंतर कछु नाहिं।
तैसे ही अंतर नहीं हिन्दुअन तुरकन माहि।।

* हिंदू तुरक नहीं कछु भेदा सभी मह एक रक्त और मासा।
दोऊ एकऊ दूजा नाहीं, पेख्यो सोइ रैदासा।।
संत शिरोमणी रविदास महाराज  जयंती कि शुभकामनाये


* हरि-सा हीरा छांड कै, करै आन की आस।
ते नर जमपुर जाहिंगे, सत भाषै रविदास।।
संत शिरोमणी रविदास महाराज  जयंती कि शुभकामनाये

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* मन चंगा तो कठौती में गंगा।
संत शिरोमणी रविदास महाराज  जयंती कि शुभकामनाये


* वर्णाश्रम अभिमान तजि, पद रज बंदहिजासु की।
सन्देह-ग्रन्थि खण्डन-निपन, बानि विमुल रैदास की।।
संत शिरोमणी रविदास महाराज  जयंती कि शुभकामनाये

Jumat, 19 Februari 2016

Vishwakarma jayanti Puja sms message hindi font wallpaper shayari thought vichar

विश्वकर्मा जयंती कि शुभकामनाए 

Vishwakarma jayanti Puja sms message hindi font wallpaper shayari thought vichar

May Lord VISHWAKARMA
always be with you and all
Happy Vishwakarma Day to You & your Family


 The creator of machine & tools is known to all
let’s pray & say loudly
“SHRI SHRI VISWAKARMA BABA KI JAAI”
Wish you a happy celebration of Vishwakarma Puja

 Shri Vishwakarma Prabhune Vandu
Charan Kamal Dhari Dhyan
Shri Shambi Bal Aru Shrip Gun
Dije Daya Nidhaan
Wish you a HAPPY VISHWAKARMA PUJA

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 Jai jai shri Bhuvna Vishwakarma
Krupa kare shri Gurudev Sudharma
Shriv Aru Vishwakarma mahi
Vigyaani kahe antar nahi
Happy Vishwakarma Jayanti


 Shrilpacharya Param Upkari
Bhuwan Putra Naam Gunkari
Ashtam Basu Sut Nagar
Shrilp Gnaan Jag Kiawu Ujagar
Wishing all of you a very Happy Vishwakarma Puja

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 Lord Vishwakarma is the divine
Crafts man, Sculptor, Architect & Engineer of the Gods
And also the creator of the Universe